यूनियन बजट 2025 के करीब आते ही केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस बार की उम्मीदें अधिक हैं, खासकर जब यह मुद्दा करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले बजट में इस पर चर्चा होने की संभावना है।
8th Pay Commission की मांग
हाल ही में आयोजित प्री-बजट कंसल्टेशन मीटिंग में, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU) के राष्ट्रीय सचिव स्वदेश देव रॉय ने 8वें वेतन आयोग को जल्द से जल्द गठित करने की मांग उठाई। उन्होंने जोर देकर कहा कि मौजूदा सातवें वेतन आयोग को कार्यरत हुए 10 साल से अधिक समय हो चुका है और अब समय आ गया है कि नए वेतन आयोग का गठन हो।
सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) का गठन फरवरी 2014 में यूपीए सरकार के दौरान हुआ था और इसकी सिफारिशें जनवरी 2016 में लागू की गई थीं। वर्तमान आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद 8वें वेतन आयोग को लागू करने की जरूरत होगी।
एनसी-जेसीएम ने दिया पत्र
पिछले महीने, एनसी-जेसीएम (नेशनल काउंसिल-ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी) ने कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखकर नए पे कमीशन की तुरंत स्थापना की मांग की। उन्होंने बताया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू हुए 9 साल से ज्यादा का समय हो चुका है और 1 जनवरी 2026 से अगले वेतन व पेंशन संशोधन की आवश्यकता है।
एनसी-जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने अपने पत्र में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और अन्य लाभों को संशोधित करने के लिए हर 10 साल में नए वेतन आयोग की स्थापना के ऐतिहासिक ट्रेंड पर जोर दिया।
ट्रेड यूनियनों की अन्य मांगें
प्री-बजट मीटिंग में 8वें वेतन आयोग के अलावा कई और अहम मुद्दे उठाए गए। ट्रेड यूनियनों ने मांग की कि न्यूनतम ईपीएफओ (EPFO) पेंशन को 5,000 रुपये प्रति माह तक बढ़ाया जाए। इसके अलावा, आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये प्रति वर्ष करने की भी सिफारिश की गई।
यूनियनों ने गिग वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा योजना लागू करने और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को बहाल करने की भी मांग की।
टीयूसीसी (TUCC) के राष्ट्रीय महासचिव एसपी तिवारी ने सरकारी उपक्रमों (PSUs) के निजीकरण और निगमीकरण को रोकने की बात कही। उन्होंने अति-अमीरों पर 2% अतिरिक्त टैक्स लगाने का सुझाव दिया, ताकि इससे अनौपचारिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जा सके।
कृषि श्रमिकों और पेंशनभोगियों के लिए योजनाएं
बैठक के दौरान कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित करने और उन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने पर भी जोर दिया गया। भारतीय मजदूर संघ (BMS) के आयोजन सचिव पवन कुमार ने ईपीएस-95 के तहत न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये करने की मांग की।
इसके अलावा, कुमार ने पेंशन आय को टैक्स से छूट देने और आयकर छूट सीमा को बढ़ाने की सिफारिश की। उन्होंने 8वें वेतन आयोग के गठन को भी प्राथमिकता देने की बात कही।
8th Pay Commission क्यों जरूरी है?
8वें वेतन आयोग का गठन केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के लिए बेहद जरूरी है। यह आयोग सरकारी कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों का समायोजन करता है। पिछले वेतन आयोगों के ट्रेंड्स को देखते हुए, यह संभव है कि नए आयोग की सिफारिशें 2026 से लागू होंगी।
2025 का बजट
बजट 2025-26 से उम्मीद की जा रही है कि यह केवल वेतन आयोग पर ही नहीं, बल्कि आयकर में छूट और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने यह चुनौती होगी कि वे ट्रेड यूनियनों और सरकारी कर्मचारियों की मांगों को कैसे पूरा करती हैं।