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₹100 का ये नोट 56 लाख रुपये में बिका, ₹10 का नोट 12 लाख में, क्या आपके पास है, यहाँ बेचे

1950 के दशक का 'हज नोट', सोने की तस्करी रोकने के लिए हुआ था जारी, अब बना संग्रहकर्ताओं की पसंद। साथ ही, प्रथम विश्व युद्ध से जुड़े 10 रुपये के नोट ने भी लाखों की बोली लगवाई। जानें इन नोटों का इतिहास और क्यों हैं ये इतने खास।

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लंदन में हाल ही में एक अद्भुत नीलामी का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 1950 के दशक में जारी किए गए 100 रुपये के एक दुर्लभ नोट की कीमत 56,49,650 रुपये तक पहुंच गई। यह नोट अपने आप में एक खास कहानी समेटे हुए है। इस नोट का सीरियल नंबर HA 078400 था और यह ‘हज नोट’ के नाम से प्रसिद्ध एक विशेष श्रृंखला का हिस्सा था। 20वीं सदी के मध्य में आरबीआई ने इसे खास तौर पर हज यात्रा के लिए खाड़ी देशों की यात्रा करने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए जारी किया था।

क्यों खास थे ये ‘हज नोट’?

इस नोट को जारी करने का उद्देश्य बेहद महत्वपूर्ण था। उस समय भारतीय तीर्थयात्री हज यात्रा पर खाड़ी देशों में जाते थे, और सोने की अवैध तस्करी को रोकने के लिए इन खास नोटों को जारी किया गया। इन नोटों की पहचान के लिए नंबर से पहले एक यूनिक प्रीफिक्स ‘HA’ जोड़ा गया, जिससे इन्हें आसानी से पहचाना जा सके।

हज नोट दिखने में भी भारतीय मुद्रा के सामान्य नोटों से अलग थे। इनका रंग और डिजाइन खास तौर पर अलग था। हालांकि, इनकी मान्यता केवल उन खाड़ी देशों में थी जहां भारतीय रुपये को स्वीकार किया जाता था। इनमें संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, कुवैत और ओमान प्रमुख थे। भारत के भीतर ये नोट वैध नहीं थे।

दुर्लभता और ऐतिहासिक महत्व

1961 में कुवैत ने अपनी खुद की मुद्रा शुरू की, जिसके बाद अन्य खाड़ी देशों ने भी अपने-अपने राष्ट्रीय मुद्रा का प्रचलन शुरू कर दिया। इस बदलाव के चलते 1970 के दशक तक हज नोट जारी करने की प्रक्रिया समाप्त हो गई।

आज, इन नोटों को मुद्रा संग्राहकों के बीच बेहद दुर्लभ और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इनकी कीमत उनकी स्थिति और दुर्लभता पर निर्भर करती है। ऐसे नोट भारतीय मुद्रा इतिहास की एक अनमोल धरोहर हैं, जो अतीत के आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं की झलक पेश करते हैं।

10 रुपये के दुर्लभ नोट भी बने आकर्षण

इस नीलामी में केवल 100 रुपये का नोट ही नहीं, बल्कि अन्य ऐतिहासिक नोट भी चर्चा में रहे। 10 रुपये के दो पुराने नोटों ने भी आश्चर्यजनक कीमत हासिल की। इनमें से एक की नीलामी 6.90 लाख रुपये में हुई, जबकि दूसरे की कीमत 5.80 लाख रुपये रही।

इन नोटों की ऐतिहासिकता उन्हें खास बनाती है। ये नोट 25 मई, 1918 को जारी किए गए थे, और इनका सीधा संबंध प्रथम विश्व युद्ध के अंतिम वर्षों से है। इन्हें ब्रिटिश जहाज एसएस शिराला से जोड़ा जाता है। 2 जुलाई, 1918 को यह जहाज एक जर्मन यू-बोट के हमले में डूब गया था। इस ऐतिहासिक घटना से जुड़े इन नोटों ने नीलामी में लोगों का ध्यान खींचा।

इतिहास और विरासत से जुड़े नोटों का महत्व

इन नोटों का महत्व केवल उनकी दुर्लभता तक सीमित नहीं है। इनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उनसे जुड़े किस्से उन्हें और भी विशेष बनाते हैं। भारतीय मुद्रा के ये अनोखे उदाहरण अतीत के व्यापारिक और सामाजिक ढांचे को दर्शाते हैं। नीलामी में इनकी ऊंची कीमत न केवल इनके आर्थिक मूल्य को बल्कि भावनात्मक और ऐतिहासिक महत्व को भी दर्शाती है।

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